US: सीनेटर इलियट ने कांग्रेस के लिए पर्चा भरा, जीती तो पहली अश्वेत महिला होंगी सांसद

इलियट ने नस्लवाद के खिलाफ प्रदर्शन में भाग लिया था
जून में चुनावी अभियान के दौरान इलियट ने व्हाइट काउंटी में नस्लवाद के खिलाफ एक प्रदर्शन में भाग लिया जिसमें 90 प्रतिशत से प्रदर्शनकारी गोरे थे. इस प्रदर्शन में उन्होंने भाग ले रहे प्रदर्शनकारियों से बात की. इलियट ने रायटर को बताया कि नवंबर का चुनाव हमारे इतिहास को बदलने का एक मौका है और मैंने वास्तव में फैसला किया कि मुझे चुनाव लड़ने की ज़रूरत है क्योंकि अब मैं जीतने का रास्ता देख सकती हूं.
122 अश्वेत महिलाओं ने भरा पर्चासंयुक्त राज्य अमेरिका एक घातक कोरोनावायरस महामारी से जूझ रहा है जिसने काले अमेरिकियों को ज्यादा अपनी चपेट में ले लिया है. हाल ही में पुलिस की बर्बरता पर मची उथल-पुथल के कारण रिकॉर्ड संख्या में अश्वेत महिलाएं कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ रही हैं. इलियट उन 122 अश्वेत या बहु-नस्लीय अश्वेत महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने इस साल के चुनाव में कांग्रेस की सीटों पर लड़ने के लिए पर्चा दाखिल किया है.
अमेरिका में अश्वेत महिलाओं की आबादी 8% है
सेंटर फॉर अमेरिकन वुमेन एंड पॉलिटिक्स (CAWP) के अनुसार 2012 के बाद से यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. अश्वेत महिलाएं अमेरिका की आबादी का लगभग 8% हैं, लेकिन कांग्रेस का केवल 4.3% हैं. सेंटर ऑफ़ वीमेन एंड पॉलिटिक्स एंड हायर हाइट्स फॉर अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार एक राजनैतिक एक्शन कमेटी के नाते कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए और अधिक प्रगतिशील अश्वेत महिलाओं का चुनाव लड़वाना चाहिए.
I endured the slings and arrows of those who didn’t want me in my newly integrated high school.
We are again enduring the consequences of the promise of America not being real for everybody.
I’m running for Congress to change that. Join me: https://t.co/nU2qqf07nC pic.twitter.com/uczuVRTxd1
— Joyce Elliott (@xjelliott) June 1, 2020
नौकरियों में अश्वेत महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम
रिपोर्ट के अनुसार राज्यव्यापी नौकरियों और महापौरों के बीच भी अश्वेत महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है. वर्ष 2008 और 2012 के राष्ट्रपति चुनावों में किसी भी समूह के मुकाबले अश्वेत महिला मतदाताओं ने सबसे अधिक भागीदारी दिखाई है. रॉयटर ने आठ अश्वेत महिला कांग्रेस उम्मीदवारों में से कइयों से बात की और सभी ने कहा कि वे अपने अमीर विरोधियों की तुलना में अपने मतदाताओं से ज्यादा अच्छा संवाद करती हैं क्योंकि उन्हीं की तरह वे भी आर्थिक कठिनाइयों से गुजर रही हैं.
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कोरोनावायरस संकट ने भी उन मुद्दों के महत्व को उजागर किया है जिन्हें ये महिलाएं चुनाव में मुद्दा बना रही है जैसे स्वास्थ्य सेवा में सुधार, बेहतर रोजगार सृजित करना, ब्रॉडबैंड इंटरनेट को आम आदमी के लिए सुगम बनाना.