जेलों में रक्षाबंधन : कोरोना ने इस बार रोक ली बहनों की राह, कैदी भाईयों ने खुद ही बांध ली राखी

भोपाल सेंट्रल जेल में 55 कैदी भाइयों के लिए राखी आयी
कैदियों (prisoners) ने राखी (rakhi) अपनी कलाई पर बांधीं और रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया, इस उम्मीद के साथ कि जल्द ही हालात ठीक होंगे और वो अपनी बहनों से मिल सकेंगे.
प्रदेश की सभी जेलों में हर साल रक्षाबंधन का त्यौहार बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. बहनें अपने कैदी भाइयों और भाई अपनी कैदी बहनों से मिलने आते हैं. बहनें राखी के साथ खाने का सामान, मिठाइयां लेकर जेल पहुंचती थीं. जेल के अंदर पंडाल बना कर उन्हें कैदी भाइयों से मिलाया जाता है. बहनें कैदी भाइयों की कलाई में राखी बांधतीं हैं, उन्हें अपने हाथों से मिठाई और खाना खिलाती हैं. इस बार कोरोना की वजह से यह व्यवस्था नहीं की गई. जेल प्रशासन ने बहनों से कैदी भाइयों के लिए पार्सल के जरिए राखी बुलाई थी. इन राखियों को कैदी भाइयों को दिया गया. कैदी भाइयों ने इन राखियों को अपनी कलाई पर बांधा और रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया, इस उम्मीद के साथ कि जल्द ही हालात ठीक होंगे और वो अपनी बहनों से मिल सकेंगे.
राखी के साथ आयी चिट्ठीप्रदेश की सभी जेलों में भाइयों के लिए उनकी बहनों ने राखी भेजी हैं. भोपाल सेंट्रल जेल में 55 कैदी भाइयों के लिए राखी आयी. ये राखियां बहनों ने पार्सल से भेजीं. जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने बताया कि राखी के साथ बहनों ने चिट्टियां भी भेजी हैं. उन्होंने अपने भाइयों का हालचाल जाना और उन्हें जल्द बाहर आने का आशीर्वाद दिया. नरगावे ने बताया कि आज रक्षाबंधन के त्यौहार पर कैदी भाइयों का मुंह मीठा करने के लिए बूंदी और खाने में पुड़ी और छोले बनवाए गए